राजे चणे के पेड़ पर तो नही.....
राजे चणे के पेड़ पर तो नही.....
प्रदेश में चल रहे भाजपा प्रदेश का मामला अभी थमता नजर नहीं आ रहा है। कभी दिल्ली तो कभी जयपुर में बैठकों का दौर लगातार जारी है। भाजपा के केन्द्र और राज्य दोनो धड़े एक दुसरे को मात देने के लिये रणनीतियां बना रहे है।
राजनीति गलियारे में यह आम चर्चा है कि आगामी चुनाव वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में लड़ा जायेगा। इसी लिये ही राजे के समर्थन में कई नेताओं ने चलम भरने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। राजनीति पण्डितों का मानना है कि यदि हाईकमान मतलब केन्द्रिय नेतृत्व यह फतवा जारी कर दे कि चुनाव तो वसुन्धरा के ही सानिध्य में लड़ा जायेगा, लेकिन टिकटों का निर्णय और बटवारा हाईकमान या संघ या फिर ओर कोई करेगा तो निश्चित रूप से राजे को महसूस हो जायेगा की वो कितने पानी में है। साथ ही भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष को लेकर हो रहे बवाल को भी पूर्णत: विराम लग जायेगा।
राजनीति के चौराहो और गलियारों से यह भी छन छन कर बाहर आ रहा है कि कहीं वसुन्धरा राजे को चने के पेड़ पर तो नही चढ़ा रखा है। ऐसा तो नही कि समय आने पर चने के पेड़ से गिरा दे। वहीं दूसरी ओर संघ के पदाधिकारी इस तरह की अटकलों को पुखता करते नजर आ रहे है। प्रदेश फिलहाल प्रदेशाध्यक्ष के बवाल में मशगुल है। लेकिन सही समय आने पर चलम भरने वाले नेताओं पर संकट के काले घने बादल मंडरा सकते है। वो नेता चाहे तथा कथित संघि ही क्यो ना हो।
हमरा विश्वाश, सही विकास।
जय जय राजस्थान।
प्रदेश में चल रहे भाजपा प्रदेश का मामला अभी थमता नजर नहीं आ रहा है। कभी दिल्ली तो कभी जयपुर में बैठकों का दौर लगातार जारी है। भाजपा के केन्द्र और राज्य दोनो धड़े एक दुसरे को मात देने के लिये रणनीतियां बना रहे है।
राजनीति गलियारे में यह आम चर्चा है कि आगामी चुनाव वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में लड़ा जायेगा। इसी लिये ही राजे के समर्थन में कई नेताओं ने चलम भरने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। राजनीति पण्डितों का मानना है कि यदि हाईकमान मतलब केन्द्रिय नेतृत्व यह फतवा जारी कर दे कि चुनाव तो वसुन्धरा के ही सानिध्य में लड़ा जायेगा, लेकिन टिकटों का निर्णय और बटवारा हाईकमान या संघ या फिर ओर कोई करेगा तो निश्चित रूप से राजे को महसूस हो जायेगा की वो कितने पानी में है। साथ ही भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष को लेकर हो रहे बवाल को भी पूर्णत: विराम लग जायेगा।
राजनीति के चौराहो और गलियारों से यह भी छन छन कर बाहर आ रहा है कि कहीं वसुन्धरा राजे को चने के पेड़ पर तो नही चढ़ा रखा है। ऐसा तो नही कि समय आने पर चने के पेड़ से गिरा दे। वहीं दूसरी ओर संघ के पदाधिकारी इस तरह की अटकलों को पुखता करते नजर आ रहे है। प्रदेश फिलहाल प्रदेशाध्यक्ष के बवाल में मशगुल है। लेकिन सही समय आने पर चलम भरने वाले नेताओं पर संकट के काले घने बादल मंडरा सकते है। वो नेता चाहे तथा कथित संघि ही क्यो ना हो।
हमरा विश्वाश, सही विकास।
जय जय राजस्थान।
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