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Showing posts from 2018

अशोक परनामी के विरोध में हवा

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पूर्व मेयर परनामी को डुबोयेगा निगम

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सरकार का भट्टा बिठायेगा डीआईपीआर

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जनता का ईशारा समझे, मुख्यमंत्री

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नरेन्द्र मोदी भ्रष्टों के पैरोकार

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जनसम्पर्क विभाग वेंटिलेटर पर

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अशुभ योग कालसर्प दोष

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उज्जैन। इंसान की जन्मपत्री में सबसे मुख्य अशुभ योग कालसर्प दोष होता है जिससे इंसान के जीवन में तमाम मुसीबतों का आना शुरु हो जाता है। उज्जैन के प्रसिद्व पंडित दीपक गुरु ने बताया कि जब कुंडली में राहु व केतु के बीच में सभी ग्रह आ जाए तो यह कालसर्प दोष कहलाता है जिससे शुभ ग्रहों के प्रभाव खत्म हो जाते हैं और इंसान के जीवन में दुख,परेशानियों का आना शुरू हो जाता है और करियर,शादी सहित सभी पक्षों पर दुष्प्रभाव पडता है। पंडित दीपक गुरु ने बताया कि इस दोष का एकमात्र उपाय पूजा ही है जिससे ग्रह दोष कट जाता है। कालसर्प दोष पूजा नापंचमी को कराया जाना श्रेष्ठ रहता है। इस साल 15 अगस्त को नागपंचमी पड रही है और 7697713477 नंबर पर संपर्क कर पूजा करवाई जा सकती है।

मुख्यमंत्री की यात्रा, जले पर नमक छिड़कने जैसी

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जाति का जहर संसद से, संदेश चौकीदार का

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ब्राह्मण समाज का आरोप, नंद साम्राज्य में बदला राजस्थान

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ब्राह्मण समाज का आरोप, नंद साम्राज्य में बदला राजस्थान प्रदेश के ब्राह्मण समाज के कई वरिष्ठ नेताओं ने राज्य की भाजपा सरकार पर राजस्थान को मगध के नंद साम्राज्य में बदलने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह का माहौल प्रदेश में विगत चार साल से है, उससे प्रतीत होता है कि भाजपा सरकार द्वारा पांचवी सदी पुन: दोहराने की नाकाम कोशिश की जा रही है। इसका खामियाजा राज्य में हुए उपचुनावों में प्रचंड बहुमत से हारके चुकाना पड़ा। बावजूद इसके सरकार जनता को ठगने के लिये नित—नई योजनाएं बना रही है। समाज ने दोहराया की भाजपा सरकार राजस्थान में जनता को जातियों में विभाजित करते हुए दलित जैसे शब्दों को वैधानिक करने की लगातार कोशिश कर रही है। बार—बार दलित कहकर जाति विशेष के लोगों को अपमानित कर नीचा दिखाने का प्रयास किया जा रहा। जबकि संविधान में दलित शब्द आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से दबे कुचले लोगों को कहा है, वह किसी भी समाज, जाति, धर्म का हो। समाज के प्रबुद्धजनों का कहना है कि सरकार द्वारा घोषित दलित जैसे शब्दों के व्यक्ति, जा​ति और समाज का भला करने में ब्राह्मण समाज हमेशा अग्रणी रहा है

करौली जिले में बजरी खनन खेल

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करौली जिले में बजरी खनन खेल श्रीमहावीर जी( करौली)। कहने को तो राज्य में बजरी खनन पर रोक है लेकिन समीप के गांव सनेट में  खनिज विभाग एवं पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता और मिली भगत के चलते बजरी खनन माफियाओं के हौसले बुलंद है। सनेट गांव की गंभीर नदी के पेटे में अवैध खनन इतना विकराल रूप ले चुका है की इस नदी के दो किलोमीटर दायरे में करीब छः जेसीबी मशीन दिन रात नदी को छलनी करने मे लगी हुई है। ओवरलोड टेकट्रर ट्रोलीया तीव्र गति से गांव के बीचो बीच से निकलती है। जिसका खामियाजा लोग अपनी जान देकर चूकते है। वही दूसरी ओर इन मशीनो ने नदी में इतने गहरे गढढे कर दिये है कि नदी में पानी आने पर हर वर्ष डूबने से कई लोगो की मौत हो जाती हैं। उल्लेखनिय है कि गत वर्ष इन्ही गढ्ढो मे डूबने से स्थानीय तीन बालिकाओं की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी प्रशासन की मिली भगत से बजरी माफिया चांदी काट रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार जिला प्रशासन बजरी माफियाओं से मिला हुआ है। इनका कहना है कि खनन विभाग और पुलिस प्रशासन से कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्यवाही नही होती बल्कि शिकायतकर्ताओं  ही परेशान किया जाता है। ल

भाजपा सरकार से बुद्धिजीवियों को नुकसान

 भाजपा सरकार से बुद्धिजीवियों को नुकसान                          राजस्थान में भाजपा सरकार को स्थापित करने के लियेबुद्धिजीवियों ने भी खास भूमिका निभाई थी और प्रचंडबहुमत से सरकार स्थापित भी हुई। लेकिन फलसफा शुन्यरहा सरकार किसी भी वर्ग के लिये खरी नहीं उतरी। पूर्वसरकार कांग्रेस ने राज्य में उच्च सदन की आधारशि​लारख अप्रेल 2012 को भारी बहुमत से संकल्प पारित करदिया जिसमें 156 विधायको ने भाग लिया और 152 विधायकों ने विधान परिषद के पक्ष में मतदान किया।राजस्थान को भारत की संसद ने विधान परिषद बनाने कीमंजूरी भी प्रदान कर दी थी। इस के बाद भी राज्य सरकारने विधान परिषद नहीं बनाया। परिषद के गठन नहीं होनेसे आम जनता की समस्याओं पर पूर्णरूप से प्रत्येक वर्गकी चर्चा नहीं हो पाती क्योंकि विधान परिषद में विभिन्नवर्ग के ​बुद्धिजीवियों को सदस्य बनाने का प्रावधान है औरइसे भंग नहीं किया जा सकता। यहिं कारण है कि राज्य केबुद्धिजीवियों को नुकसान हुआ और वंचित रह गये।हालांकि विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पूर्व में वसुंधराराजे अपने पूर्व के कार्यकाल में लेकर आई थी औरघनश्याम तिवाडी विधान सभा में पारित विधान परिषदस

राजे चणे के पेड़ पर तो नही.....

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राजे चणे के पेड़ पर तो नही..... प्रदेश में चल रहे भाजपा प्रदेश का मामला अभी थमता नजर नहीं आ रहा है। कभी दिल्ली तो कभी जयपुर में बैठकों का दौर लगातार जारी है। भाजपा के केन्द्र और राज्य दोनो धड़े एक दुसरे को मात देने के लिये रणनीतियां बना रहे है। राजनीति गलियारे में यह आम चर्चा है कि आगामी चुनाव वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में लड़ा जायेगा। इसी लिये ही राजे के समर्थन में कई नेताओं ने चलम भरने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। राजनीति पण्डितों का मानना है कि यदि हाईकमान मतलब केन्द्रिय नेतृत्व यह फतवा जारी कर दे कि चुनाव तो वसुन्धरा के ही सानिध्य में लड़ा जायेगा, लेकिन टिकटों का निर्णय और बटवारा हाईकमान या संघ या फिर ओर कोई करेगा तो निश्चित रूप से राजे को महसूस हो जायेगा की वो कितने पानी में है। साथ ही भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष को लेकर हो रहे बवाल को भी पूर्णत: विराम लग जायेगा। राजनीति के चौराहो और गलियारों से यह भी छन छन कर बाहर आ रहा है कि कहीं वसुन्धरा राजे को चने के पेड़ पर तो नही चढ़ा रखा है। ऐसा तो नही कि समय आने पर चने के पेड़ से गिरा दे। वहीं दूसरी ओर संघ के पदाधिकारी इस तरह की अटक

क्या दलित विरोधी है भाजपा सरकार?

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क्या दलित विरोधी है भाजपा सरकार? राजस्थान में कोटा की विधायक चन्द्रकांता मेघवाल के साथ हुई घटना ने भाजपा की दलितों के प्रति सहानाभुति की पोल खोल कर रख दी। जबकि केन्द्र में भाजपा सरकार ने इसी वर्ग के व्यक्ति को भारत का प्रथम नागरिक बना कर साबित कर दिया कि भाजपा दलितों के पक्षकार है।इन दोनो घटनाओ ने भाजपा के उपर कई सवाल खड़े कर दिये कि आखिर सच्चाइ क्या है? दलित समाज जो सरकार ने नाम दिया है वो इतना भी नहीं है जितना भाजपा समझती है। इस तरह की घटनाओं को ध्यान में रखते हुये भाजपा को अब सोचने पर मजबुर होना पड़ेगा कि क्या इस तरह के माहौल में दलित वर्ग आगामी विधान सभा चुनावों में भाजपा का साथ देगा। मेघवाल के साथ यह पहली घटना नहीं है। पूर्व में भी इन के साथ इस तरह की घटना हो चुकी है जिसकी शिकायत ये प्रदेश स्तर पर कर चुकी है। लेकिन फिर भी इनको कोई राहत नहीं मिली। क्या विधायक प्रहलाद गुंजल को पार्टी से निकाला जायेगा या फिर ठंडे छिंटे देकर मेघवाल को राजी कर लिया जायेगा। क्या दलित समाज को साधने के लिये कहा जायेगा कि यह हमारा घर का मामला है। जैसा की घटना पर मौजुद मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा।

वाह सरकार वाह?

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वाह सरकार वाह राज्य में सरकार का इकबाल कितना कायम है उसका आंकलन तो आम जनता रोज ही अपने इर्द गिर्द और समाज में घटित घटनाओं से कर लेते है, बाकी की कमी को टीवी और अखबार पूरी कर देते है। राज्य में पुलिस ने तो सभी सीमाएं लांघ रखी है। हालहि में जोधपुर न्यायालय में एक नाबालिक पीड़िता ने न्यायालय की रोक के बाद भी पुलिस पर परेशान करने और कपड़े फाड़ने का आरोप लगाया है, वही दूसरी ओर जयपुर के चौमू में पुलिस ने राठौड़ी में एक गरीब ठेले वाले के बच्चों को थाने में बैठाकर नजराने में थाने में कूलर लगवाया है। ऐसी बहुत सी घटना राज्य में घटित होती है जो अखबारों की शुर्खियाँ बनती है। कई घटनाओ का तो पता ही नही चलता है जो गंभीर होती है। सरकार का जनता के बीच इकबाल कितना कायम है, इस का ताजा उदाहरण पिछले दिनों करौली के हिण्डोन सिटी में देखने को मिला जब व्यापारी रामदेव अपने एक प्रोजेक्ट के भूमि पूजन के लिए करौली आये तो गंगापुर सिटी रेल लाइन के बंद निर्माण कार्य को पुनः चालू करवाने के लिए रेल विकास समिति करौली के पदाधिकारियों ने व्यापारी रामदेव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। रामदेव ने केन्द्र सरकार

राजस्थान में सामंतवाद जारी रहेगा

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राज्य में भाजपा सरकार के चार साल पूरे होते ही चार साल के जलसे के साथ सरकार विधान सभा चुनाव 2018 के चुनाव में की तैयारी के लिये सक्रिय हो गई। भाजपा ने भी अपना रंग दिखाना शुरू  कर दिया। हाल हि में राज्य में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर हुये बवाल ने भाजपा संगठन में कई सवाल खड़े कर दिये। आम जनता की राय में मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को तानाशाह ओर सामंतवाद का प्रतिक बताया। वास्तव में यदि जनता की राय यहिं है तो भाजपा संगठन की और से जनता को आगे भी इस विचारधारा की प्रतिक राजे की पीड़ा को सहना होगा। इस बात की पुष्टि भाजपा के राष्टिय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना ने प्रेस वार्ता में पत्रकारों को यह कह कर करदी कि राज्य में विधान सभा चुनाव 2018 मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के नेतृव में ही लड़ा जयेगा। हांलाकि जनता की यह राय जनता पर भी लागू होती है, क्योंकि राजस्थान में सामंतवाद हमेशा से हावी रहा है या यूं कहे कि राज्य की जनता की मानसिकता भी तानाशाह और सामंतवाद को सहने की रही है।

क्या हुआ आदर्श गांव का

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बात दरअसल यह एक गांव को आदर्श बनाने का यह दौर पिछले दो दशक से चल रहा है । सरकार नए नाम से योजना प्रारंभ करती है गांव के नाम बदलते हैं लेकिन गांव की तस्वीर नहीं ।गांव को चयन भी विधायक और सांसद ही अपनी पसंद से करते हैं । बाद में पता नहीं क्या हो जाता है कि विधायक कार्य करना पसंद नहीं करते हैं । यही कारण है कि आदर्श गांव भी मूलभूत सुविधाओं को मोहताज हो रहे है। चिंताजनक तथ्य यह है कि इन आदर्श गांव में विधायक तक कभी कभार ही पहुंचे । इन गांवो में कितने विद्यार्थी पढ़ाई से वंचित है, आंगनवाडी में कितने बचे अभी भी कुपोषित हैं , जननी सुरक्षा योजना का लाभ घर-घर पहुंच रहा है या नहीं, उज्जवला योजना के चूल्हे,मनरेगा की मजदूरी, स्कूल में शिक्षक, अस्पताल में चिकित्सक और सुविधा को लेकर विधायक , सांसदों को भी जानकारी नहीं है। योजनाएं सरकार बनाती है लेकिन उन पर अमल की मंशा जनप्रतिनिधियों में हो यह भी जरुरी है। इन आदर्श गांव में विधायकों का रात्रि ठहराव माह में एक बार तो किया ही जाना चाहिए था ताकि लोगों के साथ बैठकर बात कर हो सके।  प्रदेश में सरकार का कार्यकाल पूरा होने को जा रहा है। सरकार को इस बा