पीएम केयर्स फंड मामले में केंद्र चार हफ्ते में जवाब पेश करें —सुप्रीम कोर्ट
पीएम केयर्स फंड मामले में केंद्र चार हफ्ते में जवाब पेश करें —सुप्रीम कोर्ट
छोटा अखबार।
देश में कोविड—19 महामारी से निजात पाने के लिए पीएम केयर्स फंड में मिले अनुदान को नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड में ट्रांसफर करने के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर कर जवाब पेश करने को कहा है।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याचिका में मांग की है कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुसार एक राष्ट्रीय प्लान बनाया जाना चाहिए। वहीं एक्ट की धारा 12 के अनुसार न्यूनतम राहत निर्धारित की जानी चाहिए।
भूषण ने कोर्ट से यह भी मांग की है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड की धनराशि को कोविड-19 से लड़ने के लिए सहायता प्रदान करने में खर्च करें। एक्ट की धारा 46(1)(बी) के तहत व्यक्तियों और संस्थाओं से प्राप्त हुए सभी तरह के अनुदान अथवा ग्रांट को एनडीआरएफ में जमा किया जाए, ना कि पीएम केयर्स फंड में।
अदालत में दलील दी गई कि प्रशासन एनडीआरएफ का सही ढंग से उपयोग नहीं कर रहा है, दूसरी ओर देश अप्रत्याशित महामारी का सामना कर रहा है। दलील में यह भी कहा गया कि जनता और संस्थाओं से सहायता प्राप्त करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बने एनडीआरएफ के होते हुए सरकार ने पीएम केयर्स फंड का गठन किया है, जो कि संसद से पारित एक्ट की मूल भावना का उल्लंघन करता है। वहीं दूसरी ओर एनडीआरएफ में प्राप्त धनराशि का कैग से ऑडिट कराये जाने का प्रवधान है और यह आरटीआई एक्ट के दायरे में भी आता है।
जबकि पीएम केयर्स फंड की ऑडिटिंग कैग के बजाय एक स्वतंत्र ऑडिटर करेगा। हाल ही में पीएमओ ने कहा है कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है। मतलब कि आरटीआई एक्ट के तहत इसके संबंध में कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती है।
छोटा अखबार।
देश में कोविड—19 महामारी से निजात पाने के लिए पीएम केयर्स फंड में मिले अनुदान को नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड में ट्रांसफर करने के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर कर जवाब पेश करने को कहा है।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याचिका में मांग की है कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुसार एक राष्ट्रीय प्लान बनाया जाना चाहिए। वहीं एक्ट की धारा 12 के अनुसार न्यूनतम राहत निर्धारित की जानी चाहिए।
भूषण ने कोर्ट से यह भी मांग की है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड की धनराशि को कोविड-19 से लड़ने के लिए सहायता प्रदान करने में खर्च करें। एक्ट की धारा 46(1)(बी) के तहत व्यक्तियों और संस्थाओं से प्राप्त हुए सभी तरह के अनुदान अथवा ग्रांट को एनडीआरएफ में जमा किया जाए, ना कि पीएम केयर्स फंड में।
अदालत में दलील दी गई कि प्रशासन एनडीआरएफ का सही ढंग से उपयोग नहीं कर रहा है, दूसरी ओर देश अप्रत्याशित महामारी का सामना कर रहा है। दलील में यह भी कहा गया कि जनता और संस्थाओं से सहायता प्राप्त करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बने एनडीआरएफ के होते हुए सरकार ने पीएम केयर्स फंड का गठन किया है, जो कि संसद से पारित एक्ट की मूल भावना का उल्लंघन करता है। वहीं दूसरी ओर एनडीआरएफ में प्राप्त धनराशि का कैग से ऑडिट कराये जाने का प्रवधान है और यह आरटीआई एक्ट के दायरे में भी आता है।
जबकि पीएम केयर्स फंड की ऑडिटिंग कैग के बजाय एक स्वतंत्र ऑडिटर करेगा। हाल ही में पीएमओ ने कहा है कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है। मतलब कि आरटीआई एक्ट के तहत इसके संबंध में कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती है।
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